Are you Chirkut ?

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Meaning of Chirkut

Chirkut = चिरकुट

Chirkut is a Hindi slang which has a different types of meaning- imbecile, stupid, miser, impetuous, idiot or non-classy.

There are some more meanings here: misers, petty thieves, rouges, eve teasers, law breakers, shop lifters and general criminals.

Now you are thinking that why we named this blog on this weird word which has not so good meaning. So let me tell you my friend - Every weird thing starts from weird people. We picked up one meaning from all those meanings that is 'IDIOT' for the word Chirkut.

Even in the movie Bandook, two main heroes Bhola (Aditya Om) and Lochan (Arshad Khan) are called Chirkut Cowboys. This word reflects their personality that means they ruthlessly hunt their enemies in movie and at the same time have a perverted sense of humour that comes as comic relief to the tragic proceedings.

Here we welcome you to this Chirkut Blog or The Blog of Chirkuts or Blog of Idiots.

"Who understands life, who understands how to live, whose better know what he/she is, what's inside you, what are you from outside ?", nobody knows all the answers of these questions, we the people of this earth are somehow idiots or chirkuts. So that's why we made this blog to show our chirkutness or our chirkut thoughts.

So Are you a Chirkut ??.........Show Us
#ShowYourChirkutness #Chirkut #ChirkutBlog

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T for Trust


Trust is like rain,
It has both love as well as pain.
Trust is like walking with your eyes closed,
Its a way to lose those whom you hold very close.
Trust is a word of only 5 letters,
But these 5 letters is all what matters.
Trust is the call of your inner voice,
But sometimes you have to blindly trust, you have no choice.
Betrayal is the enemy of Trust,
It wins when a person is full of lust.
Hold, breathe and have Trust,
This is what we hear whenever we get rust.
Well, it takes years to build trust,
And few seconds to turn it into dust.
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एक और शाम

इसे पड़ने से पहले ये पड़े : Click here:


हमेशा अकेले होने से बचता रहता हूँ, खाली बैठने से भागता रहता हूँ। आज बरसात ने रोक लिया है बाहर जाने से, तो आज बैठा हूँ अकेला कमरे में। कोशिश कर रहा था थोड़ी देर कुछ न सोचूँ, कुछ न करूँ, तभी एक आवाज़ आने लगी कानों में। कल रात जैसी गानों की या नीलेश मिसरा की नहीं, बल्कि उस आवाज़ ने मुझे एहसास दिलाया कि मैं सोचता हूं कि मैं अकेला बैठा हूँ, दरअसल मैं बिल्कुल अकेला नहीं होता। कोई न कोई होता है आस पास। वो कोई, कोई आत्मा नही होती, जीव ही होता है। वो आवाज़ थी एक मच्छर के भिनभिनाने की। अब सोचा था कि कुछ नहीं करना तो हाथ चला कर हटाया नही उसको, सुना थोड़ी देर तो लगा कि वो कुछ कह रहा है। चलो सुन ही लेते हैं आज उसको। वो मुझसे कह रहा था कि शुक्रिया, आपके यहाँ कुछ जलाया हुआ नहीं है हम लोगों का दम घुटवाने के लिए और न ही कुछ छिड़का हुआ है। आपसे एक मदद चाहिए, हम लोग हमेशा तो आपके ही कमरे में नहीं रहेंगे न, तो अगर आप हमें समझा सके कि इन दम घोंट देने वाले पदार्थों का क्या करें, या आप कुछ मदद कर सकें हम इनसे लड़ने में, तो अच्छा होगा। मैंने सोचा, ये लोग कितने दुखदायी हालातों से झूँझ रहे हैं, क्यों न इनकी कोई मदद कर दी जाए। पर उससे पहले मेरे मन मे कुछ सवाल आये, मैंने एक हाथ आगे बढ़ाया, उसको बैठने के लिए कहा। वो आ कर मेरे हाथ पर बैठ गया। मैंने उससे पूछा "तुम मुझसे ही क्यों मदद माँगने आये हो?" तो उसने कहा "हम सबसे मदद माँगते हैं, हमारे लीडर ने हमें बोला है कि इंसान की बनाई इस चीज़ से तुम्हें इंसान ही बचा सकता है, पर संभल कर, कुछ इंसान अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे। तुम उनके पास जा रहे हो, मतलब सर पर कफ़न बाँध कर। और ऐसे ही हमारे बहुत सारे भाई आप लोगों के हाथों शहीद हुए हैं, मैं चाहता हूँ कि आप हमारी तरफ मदद का हाथ बढ़ाएँ, जिससे हमारे भाइयों का घुट कर मरने और शहीद होने का सिलसिला ख़त्म हो सके।" और इतना कह कर उसने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया| फिर मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और मैं खुद को हैवानियत में हिटलर से एक कदम आगे महसूस कर रहा हूँ कि जो मदद माँगने आया हो, उसकी लाश तक घर लौटने नहीं दी!

By Akshay Kurseja 

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एक शाम


इस शाम के बारे में क्या कहूँ! ये शाम कुछ अलग है, ये एक दुर्लभ शाम है| कुछ ख़ास नही था इसमे पर सब कुछ आम से कुछ हटके था। सुबह शुरू हुई उस चीज़ से जो करना मुझे बहुत पसंद है। थिएटर प्ले की रिहर्सल। दिन भर ऑफिस में भी दिन अच्छा सा रहा। आज तन्खवाह आने का दिन भी था।😝 शाम को बारिश हुई। चाय की इच्छा हुई और बारिश में नही भीगना चाहता था तो चाय आर्डर कर ली। कहाँ से कहाँ आ गए हैं हम। 😅 अब जब खाना खा कर सोने लगा तो मेरी खिड़की से बाहर कहीं से आवाज़ आ रही थी, पुराने गाने बजने की। मेरे पसंदीदा गाने! गाना ख़त्म हुआ तो आवाज़ आयी "बात पे बात पे अपनी ही बात कहता है,मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर रहता है"। बस अपनी बिस्तर से उठने की इच्छा नही है, नही तो मैं उस इंसान को ढूँढ़ कर उससे बात करना चाहता हूँ, जो हिंदी प्रधान क्षेत्रों में भी ज़्यादा न सुने जाने में रेडियो सीरियल को यहाँ सुन रहा है, हैदराबाद में| नीलेश मिसरा मेरे भी फेवरेट हैं। और अब "यादों का इडियट बॉक्स" ख़त्म हुआ "बस इतनी सी थी ये कहानी" के साथ| अब गाना बज रहा है "जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिलवाले" ❤️

By Akshay Kurseja 

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Khamoshiii


Khasmosh ho jaate hai saare raaste
Un khamosh lamho me mai kitaab k panne palat ti hu.
Yun to tjhe pura jaanti hu mai
Par har panne me ek naya roop paati hu tera.
Ab kittab k panno par kisi or ka naam likh dia hai tune
Na jane kab or kahan mjhe khudse dur kr dia hai tune.
Jana zaroori ho gya hai ab is raaste se dur
Halato ne kar dia hai mjhe itta majboor.
Mere jaane se kch nahi bdlega
Firse vohi sooraj niklega or chamkega.
Teri khushi ka raasta ab badal gya hai
Isliye tujhse dur jana hi munasif ban gya hai.
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Two Nations

Two countries, same yet different
One run by faith of the people 
The other run by the ideals
One under humongous debts
The other, a prodigy in making
One jealous in its short sightedness
The other, looking over the horizons
One pitied for its pathetic conditions
The other capable of rising to the top
One deals with the devil
The other, messiah of peace
One gangs up with hyenas
The other hunts with the pack
One using charity to sow seeds of destruction
The other tired of removing the weeds
One that hates the developed 
One that challenges the best
Two countries with the power to completely raze each other
Two countries with a troubled childhood
Who knows when will the race end
Or is the race a ruse for keeping both of them far behind
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